9 ज्वाला जी प्रसिद्ध मंदिर

ज्वाला जी मंदिर देवी दुर्गा के सबसे लोकप्रिय मंदिरो में से एक है ! इसी कारण वंश ये 51 शक्ति पीठो में से एक है ! इस भव्य मंदिर का निर्माण देवी दुर्गा के प्रिय रहे भगत काँगड़ा के राजा भूमि चंद कटोच द्वारा किया गया था ! क्योकि उन्होंने इस स्थान को रात को सपने में देखा था और फिर उन्होंने अपनी जनता को इस जगह पर मंदिर बनाने के लिए बोला ! यहाँ पर मंदिर का निर्माण की एक और वजह भी थी ! वह यह थी की देवी सती की जीभ यहाँ गिरी थी ! इसकी वजह से यहाँ आग की लपटे निकली जो आज तक लगातार निकल रही है ! इसलिए भी यहाँ पर मंदिर बनाया गया !
ज्वाला जी मंदिर में कई वैज्ञानिक भी आए वे भी इन लपटों के सोर्स का पता नहीं लगा पाए ! ये आग की लपटे चटान की दरारों से निकलती है !इस मंदिर ने साइंस को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है ! ज्वाला देवी मंदिर बहुत शक्तिशाली है ! मुग़ल बादशाह अकबर ने इन लपटों को बुझाने की कोशिश की थी लेकिन वह असफल रहा और फिर उसका देवी पर विश्वास बड़ा और उसने ज्वाला माँ को सोने का छत्र भेट किया ! परन्तु माँ ज्वाला की निंदा करने पर उस छत्र को माँ ने किसी और धातु में तब्दील कर दिया जो आज भी वहा पर मौजूद है ! मंदिर में दूध , फल , नारियल और मीठे इलाचयी दानो का भोग देवी को चढ़ाया जाता है ! ज्वाला जी मंदिर में लाखो श्रद्धालु हर साल देश विदेश से दर्शन करने के लिए आते है !
- ज्वाला जी मंदिर में दर्शन करने का सबसे अच्छा समय-: साल के 12 महीनो में कभी भी दर्शन कर सकते है ! सुबह 6 से 8 बजे तक !
- मंदिर कैसे पहुचा जाये-: काँगड़ा से लगभग 30 किलोमीटर दूर है !